बांकीमोंगरा के कटाईनार डेम से फिर प्रारंभ हुआ अवैध रेत उत्खनन की खेल , कार्यवाही नहीं पढ़े और भी खबर ।

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बांकीमोंगरा के कटाईनार डेम से फिर प्रारंभ हुआ अवैध रेत उत्खनन की खेल , कार्यवाही नहीं पढ़े और भी खबर ।

छत्तीसगढ़/कोरबा जिले के बांकीमोंगरा क्षेत्र में अवैध रेत उत्खनन थमने का नाम नहीं ले रहे हैं । कारण यह है कि अवैध रेत उत्खनन की संरक्षक कही ना कही खनिज विभाग या स्थानीय पुलिस प्रशासन दे रही है , जिसके वजह से आये दिन रेत की अवैध उत्खनन धड़ल्ले से जारी है । स्थानीय पत्रकारों के द्वारा कई बार क्षेत्र में हो रहे अवैध रेत उत्खनन की खबर प्रकाशित की जा चुकी इसके बावजूद जिला खनिज विभाग और स्थानीय पुलिस प्रशासन कड़ी कार्यवाही करना उचित नहीं समझा जा रहा है जहां समझ से परे है । अधिकांश बांकीमोंगरा अन्तर्गत कटाईनार , गजरा , जमनीमुड़ा , ढ़पडढप , कसरेगा , पुरेना , सुराकछार नदी से रेत की अवैध उत्खनन होती है , खनिज ( मैनिंग ) अधिकारी व स्थानीय पुलिस कार्यवाही जरुर करते हैं मगर वे भी खानापूर्ति कार्यवाही करते हैं, नदी में लगते है दर्जनों ट्रैक्टर , मगर कार्यवाही सिर्फ एक या दो पर क्योंकि आखिर में उन्हें इमानदारी निभाना है । जिला प्रशासन , खनिज अधिकारी , स्थानीय पुलिस प्रशासन को समाचार के माध्यम से अवैध रेत उत्खनन की जानकारी मिलती है पर समय नहीं है कहते हुए कार्यवाही करने से बचते हैं । साथ ही स्थानीय पुलिस प्रशासन कहते हैं कि कार्यवाही करना हमारा काम नहीं है यह काम खनिज विभाग की है । इस तरह से प्रतिदिन सैकड़ों ट्रैक्टर के माध्यम से अवैध रेत उत्खनन करने से प्रशासन को लाखों रुपए की नुकसान हो रही है , वहीं जब शासन की ओर से सड़क, नाली , आवास कार्य के लिए रेत कि आवश्यकता पड़े तो भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता सकता है । अगर समय रहते इन पर कार्यवाही करते हुए अवैध रेत उत्खनन पर रोक लगाया जाएं तो निश्चित रूप से शहर या ग्रामीण क्षेत्रों के नदी – नालों से रेत निकालने में डर समा रहेगा । रेत माफियाओं के द्वारा अवैध रूप से रेत उत्खनन कर आसपास के इट भट्टों में , दुकानों – मकानों और आसपास के खदानों में खपाया जा रहा है । वहीं बांकीमोंगरा के कटाईनार डेम से रेत माफियाओं के द्वारा अवैध तरीके से रेत उत्खनन कर मुख्य चौराहे पर रेत वाहनों को दौड़ाया जा रहा है । जिस तरह से मुख्य मार्गों में रेत की वाहन दौड़ रहे उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह संरक्षण किसकी हो सकती है ।

स्थानीय जनप्रतिनिधि को अब होना चाहिए जागरूक ।

अगर खनिज विभाग या स्थानीय पुलिस प्रशासन इस तरह से हो रहें अवैध रेत उत्खनन पर रोक नहीं लगा पा रहे हैं या कार्यवाही नहीं कर रहे हैं तो स्थानीय जन-प्रतिनिधियों को जागरूक होना चाहिए और अवैध तरीके से हो रहे रेत उत्खनन को रोकना चाहिए क्योंकि नगर/ ग्रामों में विकास कार्य जैसे सड़क , नाली , आवास कार्य में रेत आसानी से मिल सके । और नदी – नालों से हो रहे हैं अवैध रेत उत्खनन पर भी रोक लग सके ।

स्थानीय पत्रकारों को मिलती है धमकियां , बना रहता है खतरा ।

शहर/गांव के नदी – नालों से हो रहे अवैध रेत उत्खनन की खबर जब स्थानीय पत्रकारों के द्वारा प्रकाशित किया जाता है तो कुछ रेत माफियाओं के द्वारा अपनी पहुंच होने की बात कहते हुए कई प्रकार की धमकियां दिया जाता है या झुटें केश दर्ज करवाने की धमकियां दिया जाता है । जिससे पत्रकार अपने काम खुलकर नहीं कर पाते और उन्हें खतरा महसूस करते हैं ।

फिर देखना होगा कि खनिज विभाग व स्थानीय पुलिस प्रशासन इस रेत माफियाओं पर क्या कार्यवाही करते हैं या इस तरह की कार्य/ सिलसिला आगामी भी चलते रहेंगे । या अब स्थानीय जनप्रतिनिधियों, गांव  के जिम्मेदार नागरिकों को रेत की अवैध उत्खनन पर रोक लगाना पड़ेगा ।

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