गौठान बना खंडहर, सड़क पर बैठ रही गायें – बढ़ रही दुर्घटनाएँ, जिम्मेदारी पर उठे सवाल ।

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गौठान बना खंडहर, सड़क पर बैठ रही गायें – बढ़ रही दुर्घटनाएँ, जिम्मेदारी पर उठे सवाल

छत्तीसगढ़/कोरबा प्रदेश में इस समय खेती-किसानी का दौर जारी है और मानसून की बारिश भी हो रही है, लेकिन इन सबके बीच एक गंभीर समस्या लोगों की सुरक्षा और गौ-पालन दोनों को प्रभावित कर रही है। कोरबा सहित कई जिलों में पहले जहाँ गौठान योजना के अंतर्गत गायों के लिए व्यवस्थित स्थान उपलब्ध था, वहीं अब स्थिति बिल्कुल उलट हो चुकी है। गौठान खंडहर में बदल चुके हैं और गौ माताएँ सड़कों पर बैठने को मजबूर हैं।

🚨 दुर्घटनाओं का बढ़ा खतरा

सड़कों पर बेघर घूम रही गायें अक्सर दुर्घटनाओं का कारण बन रही हैं। रोजाना अलग-अलग क्षेत्रों में कई गायें वाहन दुर्घटनाओं का शिकार हो रही हैं, जिससे उनकी मौत तक हो रही है। इसके बावजूद शासन-प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम उठते नजर नहीं आ रहे।

🐄 जरूरत के दिनों में घर में, बाकी समय सड़क पर

ग्रामीण क्षेत्रों में किसान जब खेती के काम में बैल और गायों का उपयोग करते हैं तब उन्हें अच्छे से घरों में रखा जाता है। लेकिन जैसे ही उनकी जरूरत खत्म होती है, वही गायें सड़क, नालियों और कचरे के ढेर में भटकती नजर आती हैं।

⚖️ गाय मालिकों पर कार्रवाई की मांग

गौ सेवकों का कहना है कि जिन किसानों और मालिकों ने अपनी गायों को सड़क पर छोड़ दिया है, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए या जुर्माना वसूला जाना चाहिए। वहीं, जब दुर्घटना होती है तो यही लोग मुआवजे की मांग को लेकर सड़क जाम और हल्ला-गुल्ला करते हैं।

🙏 गौ सेवकों की पीड़ा

गौ सेवक बीच-बीच में इन बेघर गायों की देखभाल करते हैं, लेकिन उनके पास भी व्यवस्थित जगह और संसाधन नहीं हैं। वे शासन से अपील कर रहे हैं कि गौ माता की सुरक्षा के लिए स्थायी और सुरक्षित व्यवस्था की जाए।


👉 सवाल यह है कि जिम्मेदार कौन है?
क्या यह जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की है या फिर उन किसानों और मालिकों की, जिन्होंने अपनी गायों को सड़क पर छोड़ दिया है? यह मुद्दा फिलहाल स्थानीय लोगों और प्रशासन दोनों के लिए गंभीर चुनौती बनता जा रहा है।

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