कोरबा कलेक्टर के आदेश बेअसर: सुराकछार नदी में धड़ल्ले से जारी अवैध रेत उत्खनन, दर्जनों ट्रैक्टरों से माफिया कर रहे हैं दोहन।
कोरबा कलेक्टर के आदेश बेअसर: सुराकछार नदी में धड़ल्ले से जारी अवैध रेत उत्खनन, दर्जनों ट्रैक्टरों से माफिया कर रहे हैं दोहन।
छत्तीसगढ़/कोरबा जिले में रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन पर कलेक्टर के सख्त आदेशों के बावजूद, सुराकछार नदी में रेत माफिया बेखौफ होकर नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, सुराकछार नदी क्षेत्र में दर्जनों ट्रैक्टरों के माध्यम से प्रतिदिन अवैध रेत उत्खनन का कार्य धड़ल्ले से किया जा रहा है।

जिला कलेक्टर के निर्देश पर प्रशासन द्वारा सुराकछार नदी के पूर्व एक दीवाल में सुचना लिखा गया है। उस सुचना में अवैध रेत उत्खनन करने वालों को सख्त हिदायत दिया गया है कि किसी भी व्यक्ति द्वारा खनिजों के अवैध उत्खनन, परिवहन एवं अवैध भंडारण किये जाने पर खान एवं खनिज ( विकास एवं विनियम ) अधिनियम 1957 की धारा 21( 1 ) एवं 21 ( 2 ) के तहत निर्धारित दंड जैसे 5 वर्ष , 2 वर्ष का कारावास एवं अर्थदंड रुपए 5 लाख एवं प्रत्येक दिन के लिए अर्थदंड रुपए 50 हजार से दंडित किया जा सकता है।
इस सुचना पटल को दरकिनार कर रेत माफिया बेखौफ होकर बिना किसी आदेश व परमिट के दर्जनों ट्रैक्टर लगाकर अवैध रूप से रेत की उत्खनन कर मार्केट में बेचा जा रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि रेत माफिया इतने निडर हैं कि वे न केवल कलेक्टर के प्रतिबंधात्मक आदेशों को दरकिनार कर रहे हैं, बल्कि नदी के किनारों और पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं।

अवैध रेत उत्खनन में लगे ये ट्रैक्टर सुबह से देर रात तक नदी से रेत भरकर विभिन्न स्थानों पर पहुंचाते हैं। यह सब तब हो रहा है, जब खनिज विभाग और स्थानीय प्रशासन को अवैध खनन रोकने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार, यह अवैध कारोबार स्थानीय स्तर पर प्रभावी है और प्रशासन की कार्यवाही में कमी होने का फायदा उठाया जा रहा है। अवैध उत्खनन के कारण नदी के जलस्तर पर विपरीत असर पड़ने और भविष्य में पर्यावरण को गंभीर क्षति होने की आशंका है।
प्रशासन पर सवाल।
स्थानीय नागरिकों और पर्यावरण प्रेमियों ने सवाल उठाया है कि कलेक्टर के स्पष्ट आदेशों के बावजूद दर्जनों ट्रैक्टरों के माध्यम से हो रहे इतने बड़े पैमाने के अवैध उत्खनन पर खनिज विभाग और पुलिस प्रशासन कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं कर पा रहे है। यह स्थिति कहीं न कहीं स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगाती है।
गौर करने वाली बता यह भी की जैसे ही खनिज विभाग या स्थानीय प्रशासन अवैध रेत उत्खनन की कार्रवाई की दौरे पर रहते हैं तो रेत माफियाओं को भनक कैसे लग जाती है। कही ना कही किसी अधिकारियों का संरक्षण तो नहीं, यह सवाल जनताओं व जनप्रतिनिधियों ने किया है।
क्या खनिज विभाग या स्थानीय प्रशासन इतने व्यस्त हैं कि अवैध तरीके से रेत उत्खनन करने वालों पर कार्रवाई करना उचित नहीं समझते। देखना होगा कि आखिर में नदी को बर्बाद करने में किस हद तक जा सकते या खनिज विभाग कार्यवाही करना उचित समझेंगे।

