कोरबा:बांकीमोंगरा क्षेत्र के नदी-नालों से अवैध रेत उत्खनन जोरों पर, जिम्मेदार विभाग मौन।

अजीत कुमार कि रिपोर्ट बांकीमोंगरा क्षेत्र के नदी-नालों से अवैध रेत उत्खनन जोरों पर, जिम्मेदार विभाग मौन।
छत्तीसगढ़/कोरबा जिले के बांकीमोंगरा क्षेत्र के सुमेधा , गजरा, तेलसरा , मढवाढो़डा , पुरेना , देवरी , बल्गी नदी सहित आसपास के नदी नालों से अवैध रेत उत्खनन का करोबार इन दिनों जोरों पर है। स्थानीय प्रशासन व खनिज विभाग की नाक के नीचे चल रहे इस गोरखधंधे ने नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर खतरा पहुँचाना शुरू कर दिया है। बावजूद इसके, जिम्मेदार विभाग ‘चुप्पी’ साधे हुए हैं, जिससे रेत माफियाओं के हौसले बुलंद हैं।
बेखौफ माफिया कर रहे नदियों को खोखला।
सूत्रों के मुताबिक बांकीमोंगरा क्षेत्र के कई नदी-नालों में रात के अंधेरे में तथा दिन के उजाले में भी ट्रैक्टरों के माध्यम से से धड़ल्ले से रेत निकाली जा रही है। नदी की तलहटी से अत्यधिक मात्रा में रेत निकालने के कारण नदियों का जलस्तर नीचे जा रहा है और किनारे कट रहे हैं, जिससे आगामी बाढ़ का खतरा भी बढ़ सकता है। स्थानीय लोगों ने बताया कि यह उत्खनन बिना किसी खनिज अनुमति के किया जा रहा है और इसमें बड़े पैमाने पर राजस्व की हानि हो रही है।
कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति।
बताया जाता है कि अवैध उत्खनन को रोकने की जिम्मेदारी खनिज विभाग, राजस्व विभाग और स्थानीय पुलिस की है। हालांकि, क्षेत्र में इक्का-दुक्का कार्रवाई होती भी है तो वह सिर्फ खानापूर्ति बनकर रह जाती है। बड़े माफियाओं पर हाथ डालने से अधिकारी कतराते हैं। लोगों में यही चर्चा बनी रहती है कि इस खेल में राजनीतिक संरक्षण या विभागीय मिलीभगत प्राप्त है।
पर्यावरण और जल संकट का खतरा।
अवैध रेत उत्खनन के कारण क्षेत्र के पर्यावरण पर गहरा संकट मंडरा रहा है। नदियों के स्वरूप में बदलाव आ रहा है, और यह जलीय जीवों के लिए भी हानिकारक है। अगर यही स्थिति बनी रही, तो आने वाले समय में बांकीमोंगरा क्षेत्र के आस-पास के गाँवों में भू-जल स्तर और नीचे जा सकता है, जिससे पीने के पानी का गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है। स्थानीय निवासियों के द्वारा कई बार जिम्मेदार अधिकारियों को शिकायत किया जा चुका है इसके बावजूद कोई ठोस में कार्रवाई नहीं हुआ।
